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Monday, April 15, 2024
رضااکیڈمی نے لنگر رسول ﷺ کے موقع پر مفتی عطاء المصطفیٰ اعظمی کے وصال پر دکھ کا اظہار کیا* *مفتی عطاء المصطفیٰ اعظمی جماعت اہلسنت والجماعت کے ایک ممتاز عالم دین تھے۔الحاج محمد سعید نوری*
Friday, March 8, 2024
ایمازون کی شرانگیزی انڈر ویئر پر کلمۂ طیبہ لکھ کر دنیا بھر کے مسلمانوں کو پہونچائی اذیترضااکیڈمی نے مہاراشٹر ودھان سبھا کے اسمبلی اسپیکر سے کی شکایت
Saturday, March 2, 2024
नफरती बातों के बीच कैसे बढ़े सौहार्द्र-राम पुनियानी
भारत पर पिछले 10 सालों से हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज कर रही है. भाजपा आरएसएस परिवार की सदस्य है और आरएसएस का लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र का निर्माण. आरएसएस से जुड़ी सैंकड़ों संस्थाएँ हैं. उसके लाखों, बल्कि शायद, करोड़ों स्वयंसेवक हैं. इसके अलावा कई हजार वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जिन्हें प्रचारक कहा जाता है. भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आरएसएस दुगनी गति से हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के अपने एजेण्डे को पूरा करने में जुट गया है. यदि भाजपा को चुनावों में लगातार सफलता हासिल हो रही है तो उसका कारण है देश में साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक मुद्दों का बढ़ता बोलबाला. इनमें से कुछ हैं राम मंदिर, गौमांस और गोवध एवं लव जिहाद. जो हिंसा हो रही है उसके पीछे अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुष्प्रचार है. लोगों को यह सिखाया-बताया जा रहा है कि वे अल्पसंख्यकों से नफरत करें. इस नफरत को फैलाने के लिए एक अत्यंत कुशल और विशाल मशीनरी खड़ी कर दी गई है. इसमें शामिल है आरएसएस की शाखाएँ, संघ द्वारा संचालित स्कूल, संघ के विभिन्न प्रकाशन, गोदी मीडिया, सोशल मीडिया, भाजपा का आईटी सेल आदि. नफरत फैलाने वाले भाषण देना हमारे कानून के अंतर्गत एक अपराध है मगर फिर भी भाजपा के केन्द्र और कई राज्यों में सत्ता में होने के कारण नफरत फैलाने वाले पूरी तरह बेखौफ हैं. उन्हें पता है कि सरकार और पुलिस उनका कुछ नहीं बिगाड़ेगी.
वाशिंगटन डीसी स्थित एक समूह भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाषणों-लेखन आदि के जरिये नफरत फैलाने की घटनाओं का दस्तावेजीकरण करता है. इंडिया हेट लेब नामक इस संगठन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि सन् 2023 के पहले 6 महीनों में इस तरह की 255 घटनाएँ हुईं. अगले 6 महीनों में इनकी संख्या 413 हो गई अर्थात् इनमें 62 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. इनमें से 75 प्रतिशत घटनाएँ भाजपा-शासित प्रदेशों और दिल्ली में हुईं. जैसा कि हम जानते हैं कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था भारत सरकार के हाथों में है. इनमें से 239 मामलों (36 प्रतिशत) में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का सीधे आह्वान किया गया. करीब 63 प्रतिशत मामलों, जिनकी कुल संख्या 420 थी, में यह कहा गया कि मुसलमान एक षड़यंत्र के तहत हिन्दू महिलाओं से विवाह कर रहे हैं, जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं. करीब 25 प्रतिशत (169) मामलों में लोगों का आह्वान किया गया कि वे मुसलमानों के आराधना स्थलों पर हमले करें.
इन सब भाषणों और वक्तव्यों का क्या असर हुआ यह हम सब जानते ही हैं. इसके अतिरिक्त भाजपा-शासित प्रदेशों में बुलडोजरों का इस्तेमाल हो रहा है. ये बुलडोजर मुख्यतः मुसलमानों के घरों और दुकानों को ढहा रहे हैं. कुछ मामलों में मस्जिदों को भी ढहाया गया है. समय-समय पर यह आह्वान किया जाता है कि सड़कों और ठेलों से सामान बेचने वाले मुसलमानों और मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार किया जाये. प्रशासनिक मशीनरी अकसर एकतरफा कार्यवाही करती है. इन सबका नतीजा यह हुआ है कि मुसलमानों में असुरक्षा का भाव बढ़ रहा है और वे अपने मोहल्लों में सिमट रहे हैं. देश में ऐसे मोहल्लों की संख्या कम होती जा रही है जहाँ हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के पड़ौसी हों. नफरत की दीवारें और ऊँची, और मजबूत होती जा रही हैं. नफरत फैलाने वाली बातें सबसे ऊपर से शुरू होती हैं. प्रधानमंत्री, जिन्हें पिछले कुछ समय से विष्णु का अवतार बताया जा रहा है, तक इस तरह की बातें करते हैं. वे कहते हैं कि ‘‘उन लोगों को उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है.’’ वे शमशान-कब्रिस्तान की बात करते हैं और पिंक रेव्युलेशन की भी. उनके नीचे के लोग और खराब भाषा का इस्तेमाल करते हैं और फिर आती हैं धर्म संसदें जिनमें यति नरसिंहानंद जैसे धर्म गुरू सीधे मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की बात करते हैं.
यहाँ तक कि संसद में भाजपा सांसद रमेश बिदूड़ी ने अपने साथी सांसद दानिश अली के बारे में अत्यंत निंदनीय और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने दानिश अली को मुल्ला, आतंकवादी, राष्ट्र-विरोधी, कटुआ और दलाल बताया था. उसके बाद रमेश बिदूड़ी को उनकी पार्टी ने और महत्वपूर्ण पद और ज्यादा जिम्मेदारियाँ दे दीं. इससे साफ है कि अगर आपको भाजपा में आगे बढ़ना है तो आपको मुसलमानों पर हमला करना ही होगा और वह भी भद्दी और निहायत अशिष्ट भाषा में. रमेश बिदूड़ी को लोकसभा अध्यक्ष ने भी कोई सजा नहीं दी. उन्होंने सिर्फ यह कहा कि अगर बिदूड़ी ऐसा ही फिर करेंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी.
हमने देखा कि किस तरह जानीमानी मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करने के लिए बुल्ली बाई और सुल्ली डील आदि जैसे बातें की गईं. यह करने वालों को कोई सजा नहीं मिली. हाल में हल्द्वानी में मस्जिद और मदरसे को ढहा दिया गया जिसके कारण भारी साम्प्रदायिक तनाव हुआ. आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि देश में निष्पक्ष मीडिया का नामोनिशान नहीं है. सारे बड़े चैनलों के एंकर हर चीज के लिए, देश की हर समस्या के लिए, मुसलमानों को दोषी ठहराते हैं.
देश में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा तो बढ़ ही रही है, इस्लाम के प्रति भी नफरत फैलाई जा रही है. हम सबने देखा कि किस तरह शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने अपनी क्लास के सब बच्चों को एक मुसलमान विद्यार्थी को एक-एक तमाचा मारने को कहा क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया था. एक अन्य अध्यापिका मंजुला देवी ने आपस में लड़ रहे दो मुसलमान लड़कों से कहा कि ये उनका देश नहीं है. बस कंडक्टर मोहन यादव को इसलिए नौकरी से बाहर कर दिया गया क्योंकि उसने बस थोड़ी देर रूकवाई जिस दौरान कुछ यात्री शौच आदि से निवृत्त हुए और कुछ ने नमाज अदा की.
हमारे समाज और देश के लिए नफरत एक अभिशाप है. यह बात हमारे शीर्ष नेताओं ने बहुत पहले समझ ली थी. एक मुस्लिम द्वारा स्वामी सहजानंद की हत्या के बाद महात्मा गाँधी ने अपने अखबार ‘यंग इंडिया’ में लिखा कि ‘‘...हमें वातावरण को नफरत से मुक्त करना है और हमें ऐसे अखबारों का बहिष्कार करना है जो नफरत फैलाते हैं और चीजों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं.’’ यहाँ गाँधीजी बता रहे हैं कि कैसे उस समय भी कुछ अखबार नकारात्मक भूमिका अदा करते थे. महात्मा गाँधी की हत्या के बाद गोलवलकर को लिखे एक पत्र में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस को नफरत फैलाने के लिए दोषी ठहराया. ‘‘उनके सारे भाषण साम्प्रदायिकता के जहर से भरे रहते थे. हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए जहर फैलाना और उन्हें भड़काना जरूरी नहीं था. इसी जहर के नतीजे में देश को महात्मा गाँधी की मूल्यवान जिंदगी से हाथ धोना पड़ा.’’
चीजें अब घूमकर वहीं की वहीं आ गई हैं. आरएसएस फिर से नफरत फैला रहा है. स्वयंसेवकों, प्रचारकों और सरस्वती शिशु मंदिरों के अतिरिक्त मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी इसमें मददगार है. मीडिया ने सत्ता के आगे पूरी तरह घुटने टेक दिये हैं. मीडिया हिंसा और नफरत को बढ़ावा दे रहा है. यही नफरत बुल्ली बाई और सुल्ली डील, तृप्ता त्यागी और मंजुला देवी का निर्माण करती है. ऐसे स्कूलों में जहाँ सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं, मुस्लिम बच्चों के लिए समस्यायें खड़ी हो रही हैं.
नफरत हमारे संविधान के एक मूलभूत मूल्य - बंधुत्व - के विरूद्ध है. यह उस हिन्दू धर्म के नैतिक मूल्यों के भी खिलाफ है जिसका आचरण महात्मा गाँधी जैसे लोग करते थे. यह वेदों की ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) की शिक्षा पर हमला है. धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला दरअसल हमारे संविधान पर हमला है. नफरत भरे भाषणों से मुकाबला करने के लिए आज हमें गाँधीजी के हिन्दू धर्म, वेदों के वसुधैव कुटुम्बकम और भारतीय संविधान के बंधुत्व के मूल्य की जरूरत है. (अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया; लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)
Friday, October 20, 2023
مظلوم فلسطینیوں کے لئے بعد نماز جمعہ سنی بڑی مسجد مدنپورہ میں دعا کا اہتمام کیا گیا
Tuesday, September 26, 2023
عید میلاد النبی ﷺ پر D. J. ، آتش بازی کے خلاف نوجوانوں میں بیداری۔
Sunday, September 24, 2023
इमाम जलाल उद्दीन सियूती के मज़ार के तोड़े जाने के विरोध में उलमा-ए-कराम की हुई बैठक,
Saturday, August 5, 2023
نفرتی ماحول ، ملک کے لئے نقصان دہ: جماعت اسلامی ہند
05-08-2023
پریس ریلیز
نئی دہلی: ”منی پور میں المناک نسلی تشدد تقریبا تین ماہ سے جاری ہے۔ اتنے عرصے تک کسی بھی تشدد کا جاری رہنا، انسانیت کے لئے باعث شرم ہے۔ یہ ریاستی اور مرکزی دونوں سطحوں پر حکمرانوں کی ناکامی کو ظاہر کرتا ہے۔ اگر حکومت کی جانب سے بروقت کارروائی کی جاتی تو تشدد کو روکا جاسکتا تھا جس سے کئی قیمتی جانیں بچ سکتی تھیں اور عبادت گاہوں پر حملے کو روکا جاسکتا تھا“۔ یہ باتیں نائب امیرجماعت اسلامی ہند پروفیسر محمد سلیم نے مرکز، نئی دہلی میں منعقدہ پریس کانفرنس میں کہی۔ انہوں نے کہا کہ اس تشدد سے اشارہ ملتا ہے کہ بھارت میں اقلیتوں کو عدم تحفظ، امتیازی سلوک، پسماندگی اور انتظامیہ و سیاست میں نمائندگی کی کمی جیسے مسائل کا سامنا ہے۔ منی پور میں بے بس خواتین کو برہنہ پریڈ کرائے جانے کے غیر انسانی رویے نے پورے ملک کو شرمسار اور خواتین کے تحفظ اور ان کے وقار کو شدید چوٹ پہنچایا ہے۔ حکومت کو چاہئے کہ وہ حالات کو معمول پر لانے کے لئے فوری مناسب اقدامات کرے اور قصورواروں کو سخت سزا دے“۔ ’لوک نیتی - سی ایس ڈی ایس‘ کی حالیہ میڈیا سروے کی رپورٹ پراپنے تاثرات کا اظہار کرتے ہوئے انہوں نے کہا کہ”ملک میں میڈیا کی آزادی کو سلب کرلی گئی ہے۔ صحافت سے منسلک افراد میں عدم اطمینان ہے۔ لہٰذا میڈیا اداروں کو اپنے ملازمین کے عدم اطمینان کے خاتمے اور ان کی فلاح و بہبود کے لئے ترجیحی بنیاد پر اقدامات کرنا چاہئے اور صحافیوں کو اپنی بات کہنے کے لئے مکمل آزادی ملنی چاہئے“۔انہوں نے کہا کہ ”میڈیا کو بھی منصفانہ اور غیر جانبدارانہ خبروں کو ہی عوام تک لے کر جانا چاہئے“۔
جے پور، ممبئی ٹرین حادثہ پر بات کرتے ہوئے نائب امیر جماعت ملک معتصم خان نے کہا کہ ”برسراقتدار طاقتوں کی طرف سے بنیاد پرستی اور پولرائزیشن کو ہوا دینے کے نتیجے میں یہ گھناؤنا جرم ہوا ہے جس میں آر پی ایف کے ایک کانسٹیبل نے اپنے ایک سینئر سب انسپکٹر سمیت تین شہریوں کو گولی کا نشانہ بناکر موت کی نیند سلا دیا۔ ملزم نے مسلمانوں سے مشابہت رکھنے والے مسافروں کو نشانہ بنایا۔ یہ مسلمانوں کے خلاف منظم تشدد کے سلسلے کی ایک کڑی ہے جو ملک میں معمول بنتا جارہاہے“۔ انہوں نے کہا کہ”ملزم قتل کے بعد وزیر اعظم اور یو پی کے وزیر اعلیٰ کی تعریف کررہاتھا،یہ انتہائی حیران کن بات ہے۔ تشدد کا یہ ماحول ملک میں غیر ذمہ دار میڈیا، متعصبانہ کردار پرمبنی فلموں اور اشتعال انگیز لٹریچروں کی وجہ سے بھی پیدا ہوا ہے۔ جماعت ملزم کے خلاف قانونی کارروائی کرنے اور مرنے والوں کے اہل خانہ کو معاوضہ اور روزگارفراہم کرنے کا مطالبہ کرتی ہے۔نیز پورے معاملے کی اعلیٰ سطحی جانچ ہو“۔
جماعت کے نیشنل سکریٹری مولانا شفیع مدنی نے کہا کہ ”ہریانہ کے ’سوہنا‘اور’نوح‘ میں تشدد جس میں دو ہوم گارڈز سمیت چھ افراد کی موت ہوئی، ایک ہندو حامی تنظیم کی طرف سے نکالے گئے جلوس کی وجہ سے ہوا۔ اس تشدد کی وجہ سے ہریانہ میں خوف کا ماحول ہے۔ تشدد میں ملوث سماج دشمن عناصر بے خوف ہیں، انہیں یقین ہے کہ ان کے خلاف کوئی قانونی کارروائی نہیں ہوگی، کیونکہ انہیں سیاسی سرپرستی حاصل ہے“۔ انہوں نے کہا کہ”جماعت ہلاک ہونے والوں کے لئے مناسب معاوضے کا مطالبہ کرتی ہے۔ ساتھ ہی معاملے کی فوری اعلیٰ سطحی انکوائری اور ان پولیس اہلکاروں کے خلاف سخت کارروائی کا مطالبہ کرتی ہے جو پیشگی اطلاع کے باوجود شہریوں کو تحفظ فراہم کرنے میں ناکام رہے۔ صورت حال کا جائزہ لینے کے لئے جماعت کے ایک وفد نے متاثرہ علاقے کا دورہ کیا اور متعلقہ علاقے کے پولیس آفیسر اور باشندوں سے ملاقات کی۔
ملک کی مختلف ریاستوں میں خواتین اور لڑکیوں کا لاپتہ ہونا ایک تشویشناک بات ہے۔ محترمہ رحمت النساء، نیشنل سکریٹری شعبہ ویمن،جماعت اسلامی ہند نے نیشنل کرائم ریکارڈ بیورو (این سی آر بی) کی مرتب کردہ رپورٹ پر جس میں 2019 تا 2021 ملک بھر سے 13.13 لاکھ سے زیادہ لڑکیوں اور خواتین کے لا پتہ ہونے کی بات کہی گئی ہے، افسوس کا اظہار کرتے ہوئے کہا کہ”یہ تعداد تو وہ ہے جس کی رپورٹنگ ہوئی ہے۔ جن لاپتہ خواتین کی رپورٹنگ نہ ہوسکی، ان کی تعداد بھی بہت بڑی ہوسکتی ہے۔ اس سے واضح ہوتا ہے کہ ’بیٹی بچاؤ کا نعرہ محض ایک انتخابی نعرہ ہے“۔ انہوں نے کہا کہ خواتین کے خلاف جنسی جرائم کی روک تھام کا بہترین طریقہ اخلاقیات اور اخلاقیات پر مبنی معاشرہ کی تشکیل ہے۔ یہی معاشرہ خواتین کو بازاری قوتوں کا آلہ کار بننے سے روک سکتا ہے۔خواتین کو ان کے جائز حقوق ملنے چاہئیں