उर्दू स्कूलों के सुधार पर महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित

नागपुर: महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग द्वारा नागपुर के रवि भवन में उर्दू स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में उर्दू शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, गणित और विज्ञान की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में कराने, पवित्र पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती, आधुनिक प्रतिस्पर्धा के दौर में उर्दू शिक्षा को मजबूत करने और महाराष्ट्र सरकार की नीति के तहत उर्दू स्कूलों में मराठी भाषा को अनिवार्य करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान साहब, उच्च न्यायालय के वकील फिरदौस मिर्ज़ा, प्रोफेसर असलम बारी, हेडमास्टर ज़फ़र अहमद खान, टीचर खतीजा खान, नागपुर के विभिन्न उर्दू स्कूलों के शिक्षक, समाजसेवी तथा स्कूल संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक में सभी उपस्थित जनों ने उर्दू स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, शिक्षकों की उचित भर्ती, आधुनिक शिक्षा पद्धति को अपनाने और मराठी भाषा को आवश्यक रूप से सीखने के महत्व पर भी चर्चा की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उर्दू शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाना और इसे आधुनिक शिक्षा तथा रोजगार की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना था।

इस बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई:

1. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा – उर्दू स्कूलों में शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार के उपाय।


2. गणित और विज्ञान की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में – छात्रों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने के लिए इन विषयों को अंग्रेजी में पढ़ाने की आवश्यकता।


3. पवित्र पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती – योग्य शिक्षकों की पारदर्शी और प्रभावी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करना।


4. आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में उर्दू शिक्षा में सुधार की आवश्यकता – उर्दू स्कूलों को मजबूत बनाने और उनकी चुनौतियों का समाधान करने पर विचार।


5. उर्दू स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य – महाराष्ट्र सरकार की नीति के अनुसार, सरकारी नौकरियों के लिए मराठी भाषा आवश्यक है।

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