रज़ा अकादमी की ओर से सरकार के दबाव के बावजूद शहादत बाबरी मस्जिद के दिन मुंबई की सड़कें अल्लाहु अकबर की आवाज़ से गूंज उठीं। 6 दिसंबर 1992 इतिहास का वह दुखद दिन है जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों के दिलों में एक जख्म के तौर पर दर्ज है।

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