1500 सालाना जश्न-ए-मिलादुन्नबी ﷺ पर चर्चा करते हुए, अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी ने बाहर से आए उलेमा-ए-किराम का शुक्रिया अदा करते हुए

मुंबई: पैग़ंबर ए करीम ﷺ की विलादत-ए-बासअदात को 5 सितंबर 2025 को पूरे 1500 साल पूरे हो जाएंगे। इसी संदर्भ में, आलमी तहरीक रज़ा अकैडमी के सरबराह, मुफ़्ती ए आज़म के असीर और मुहाफ़िज़-ए-नामूस-ए-रिसालत, अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी ने मुल्क की मशहूर दरसगाह, जामिया अशरफिया मुबारकपुर के जायद उस्तादों के साथ इस्लाम जिमखाना मुंबई में एक मीटिंग आयोजित की।

इस बैठक में मेहमान-ए-ख़ुसूसी के तौर पर “बाकियतुस्सलफ़ ख़ैरुल अज़किया” हज़रत मौलाना मोहम्मद अहमद मिस्बाही और “सिराजुल फुक़हा” मुफ़्ती निज़ामुद्दीन मिस्बाही मौजूद थे।

1500 सालाना जश्न-ए-मिलादुन्नबी ﷺ पर चर्चा करते हुए, अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी ने बाहर से आए उलेमा-ए-किराम का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इस साल 5 सितंबर को हज़ूर ﷺ के इस दुनिया में तशरीफ लाने के पूरे 1500 साल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें इस साल को मिलादुन्नबी ﷺ इतने शानदार तरीके से मनाना चाहिए कि यह साल आने वाली नस्लों के लिए यादगार बन जाए।

उलेमा-ए-अहले सुन्नत की मौजूदगी में नूरी साहब ने आगे कहा कि रज़ा अकैडमी पूरे मुल्क के आशिक़ान-ए-मुस्तफ़ा तक पहुँचने की कोशिश कर रही है ताकि “हज़ूर की रहमत सबके लिए” का पैग़ाम हर ज़ुबान पर आम हो सके।

इस मौके पर मौलाना मोहम्मद अब्बास रज़वी ने कहा कि रज़ा अकैडमी पिछले छह महीनों से इस 1500 सालाना जश्न के सिलसिले में पूरे देश का दौरा कर रही है। उन्होंने बताया कि रज़ा अकैडमी ने “मिलाद काउंसिल” का गठन किया है, जिसका मकसद इस 1500 सालाना जश्न-ए-मिलादुन्नबी ﷺ को शानदार बनाना है।

उन्होंने आगे कहा कि इस मौके पर एक “इस्लामी कॉलेज” का मुद्दा भी विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि हमारी क़ौम की बच्चियां, जो स्कूलों में तालीम हासिल कर रही हैं, उन्हें बुर्क़ा पहनने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम आपसे अपील करते हैं कि मुल्क में इस्लामी कॉलेज स्थापित करें ताकि हमारी बच्चियां इस्लामी लिबास को बेख़ौफ़ इस्तेमाल कर सकें।

मौलाना अख्तर हुसैन फैज़ी मिस्बाही ने भी इस पर जोर देते हुए कहा कि हम अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी साहब से गुजारिश करते हैं कि इस्लामी कॉलेजों के मुद्दे पर ध्यान दें।

मौलाना कासिम मिस्बाही ने इन बातों की ताईद करते हुए कहा कि पैग़ंबर ए अक़दम ﷺ की तालीमात को आम करने की सख्त ज़रूरत है।

जामिया अशरफिया मुबारकपुर के उस्ताद-ए-असातिज़ा, हज़रत मौलाना मोहम्मद अहमद मिस्बाही और मुफक्किर-ए-मसायल-ए-जदीदा, मुफ़्ती निज़ामुद्दीन मिस्बाही ने रज़ा अकैडमी के सरबराह अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 1500 सालाना जश्न-ए-मिलादुन्नबी ﷺ मनाने की तैयारी एक काबिले तारीफ कदम है।

उन्होंने उलेमा-ए-अहले सुन्नत को मुख़ातिब करते हुए कहा कि आप सब “हज़ूर की रहमत सबके लिए” मुहिम का हिस्सा बनें और इस पैग़ाम को घर-घर पहुँचाने की कोशिश करें।

उन्होंने यह भी कहा कि इमाम-ए-मसाजिद अपने जुमे के ख़ुत्बे में इसे अपनी तख़रीर का मौज़ू बनाएँ ताकि अवाम-उन्नास इस मुहिम के महत्व को समझ सकें।

आख़िर में, अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी ने अपने ख्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि इस्लामी मुल्कों के सरबराहों तक हमारी बातें पहुंचें। उन्होंने कहा कि हम बहुत जल्द इन सरबराहों को 1500 सालाना जश्न-ए-मिलादुन्नबी ﷺ के बारे में पत्र भेजने वाले हैं और उनसे गुजारिश करेंगे कि वे भी इस मुहिम का हिस्सा बनें।

उन्होंने भरोसा जताया कि इस्लामी मुल्कों के सरबराह इस मुहिम में हमारा साथ ज़रूर देंगे और 5 सितंबर 2025 को हज़ूर ﷺ की विलादत-ए-बासअदात को अपने-अपने मुल्कों में शानदार तरीके से मनाने की तैयारियाँ शुरू करेंगे।

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