6 दिसंबर 1992 की तारीख देश के माथे पर एक कलंक है जब दिनदहाड़े कट्टर आतंकवादियों ने सरकार के सपोर्ट से पुरानी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था,
6 दिसंबर 1992 की तारीख देश के माथे पर एक कलंक है जब दिनदहाड़े कट्टर आतंकवादियों ने सरकार के सपोर्ट से पुरानी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था, जिससे न सिर्फ भारत के मुसलमानों को बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों को एक गहरा ज़ख्म लगा, जो आज तक नहीं भरा है।
दरअसल, यह ज़ख्म तब और भी गहरा हो गया जब 9 नवंबर 2019 को देश की सबसे बड़ी न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट ने एकतरफ़ा फ़ैसला सुनाते हुए बाबरी मस्जिद की जगह हिंदू पक्ष को दे दी और इस फ़ैसले को आस्था कहा गया।
आज बाबरी मस्जिद की शहादत को 33 साल हो गए हैं। इसी दुख में रज़ा अकादमी हाईवे पर अज़ान और दुआ का आयोजन करती है।
आज, 6 दिसंबर 2025 को मीनार मस्जिद, खत्री मस्जिद वगैरह के सामने पूरे जोश के साथ अज़ान और दुआ की गई, जिसमें सैकड़ों लोग हाथों में तख्तियां लिए खड़े थे, जिन पर बाबरी मस्जिद ज़िंदाबाद, बाबरी मस्जिद यार कायम रहेगी जैसे नारे लिखे थे। बताए गए प्रोग्राम में कायदे मिल्लत संस्था के प्रमुख हज़रत हज मुहम्मद सईद नूरी ने मीडिया को बताया कि आज बाबरी मस्जिद की शहादत की 33वीं बरसी है, लेकिन जो मोहब्बत पहले थी, वह आज भी मौजूद है। बाबरी मस्जिद एक मस्जिद है और हमेशा रहेगी। इसका रुतबा कभी नहीं बदलेगा। हज़रत नूरी ने आगे कहा कि इंसाफ़ के नाम पर मुसलमानों की अकीदत और मोहब्बत का गला घोंटा गया और कहा गया कि यह ईमान का मामला है। मैं साफ़ करना चाहता हूं कि यह सीधे तौर पर ईमान का नहीं, बल्कि इंसाफ़ का कत्ल था। कायदे मिल्लत के नाम से मशहूर हज़रत सईद नूरी ने कहा कि रज़ा एकेडमी की तरफ से अज़ान और दुआ का आयोजन करने का मकसद आने वाली पीढ़ियों को यह बताना है कि 6 दिसंबर 1992 को कार सेवक के भेष में आतंकवादियों ने अल्लाह तआला के घर को गिरा दिया था। अब जब दुनिया की अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है, तो मुझे भरोसा और विश्वास है कि अल्लाह सुब्हानहु व तआला अपने घर के लिए बेहतर फैसला करेंगे। आखिर में, मुहम्मद सईद नूरी ने मुसलमानों को यह संदेश दिया कि निराश न हों। हर दौर में ज़ालिम ताकतें आईं और गईं। बस अल्लाह पर भरोसा रखें, नमाज़ पढ़ें और अपने बच्चों में बाबरी मस्जिद का ज़िक्र करते रहें ताकि वे भी खुदा के घर से जुड़े रहें। हज़रत मौलाना अमानुल्लाह रज़ा ने कहा कि बाबरी मस्जिद ईंटों, पत्थरों और कंकड़ों का नाम नहीं है, बल्कि वह जगह मस्जिद थी, है और हमेशा रहेगी। हज़रत मौलाना मुहम्मद अब्बास रिज़वी ने खुलेआम कहा कि मौजूदा सरकार ने ज़ुल्म और बेरहमी से मुसलमानों से उनकी मस्जिद छीन ली और आज प्रधानमंत्री सीना फुलाकर कह रहे हैं कि हमने राम मंदिर बनवाया।
अफ़सोस की बात है कि सुप्रीम कोर्ट एक विवादित फ़ैसला देता है और BJP क्रेडिट ले रही है। हम मुसलमान भारत से कहते हैं कि संघर्ष ही हमारी मंज़िल है, इसलिए हमें अपनी कोशिशें जारी रखनी चाहिए।
प्रोफ़ेसर हज़रत मौलाना महमूद अली ख़ान गोवांडी ने कहा कि आज बाबरी मस्जिद के रूप में मुसलमानों के सिर पर कई मस्जिदें खड़ी हैं, जिन पर फिरकापरस्तों की नज़र है, इसलिए मुसलमानों को अपने सजदों से वीरान मस्जिदों को फिर से बनाना चाहिए।
प्रार्थना और दुआ के लिए सामूहिक आह्वान में
मौलाना ज़ुल्फ़िकार फ़ैज़ी
कारी इरशाद अहमद ख़ान
कारी रिफ़त रज़ा कटिहारी
हाफ़िज़ जुनैद रज़ा रशीदी
हाफ़िज़ अदनान रिज़वी
नात ख़ान महफ़ूज़ुर रहमान कादरी
मौलाना नौशाद कादरी
अब्दुल कय्यूम चीता कैंप
हज़रत मौलाना मुंतज़र ख़ान साहिब गुजरात
नूरी अमन मियां
मुहम्मद हसन रिज़वी
मुहम्मद अली रिज़वी मदनपुरा
मुहम्मद हामिद रिज़वी
मुहम्मद अहमद रिज़वी मुहम्मद ग़ौस रिज़वी
मुज़म्मिल हमदानी
इरफ़ान शेख रिज़वी
मुहम्मद अनस रिज़वी
मुहम्मद हंज़ाला रिज़वी
अब्दुल रशीद रिज़वी
ज़ुबैर शेख
गोवंडी से आशिक ख़्वाजा हज मुहम्मद कमाल खान कादरी
गुलाम मुहम्मद निज़ामी
सोशल वर्कर शफ़ीक शेख
नाज़िम खान रिज़वी
अफ़र खान वगैरह मौजूद थे
सिर्फ़
मुहम्मद आरिफ़ रिज़वी
सेक्रेटरी रज़ा अकादमी मुंबई
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