Tuesday, November 23, 2021

मौलाना आज़ाद बीएड काॅलेज में राष्ट्रीय स्तरीय उर्दू काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजनमुम्बई के मशहूर शायर प्रोफेसर कासिम इमाम ने बांधा समां

जोधुपर 23 नवम्बर। मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के अधीन संचालित कमला नेहरू नगर स्थित मौलाना आज़ाद मुस्लिम शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में राष्ट्रीय स्तरीय उर्दू काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में विशिष्ठ अतिथि नेशनल काउन्सिल परमोशन फाॅर उर्दू लैंग्वेज नई दिल्ली के अध्यक्ष शेख अकील अहमद ने कहा की मैं उर्दू का खिदमतगार (सेवक) हूूं और उर्दू शषा के विकास तथा इससे युवाओं के रोजगार के लिए हमारा एनसीपीयूएल संस्थान निरन्तर प्रयासरत रहेगा। 
मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष पद्म श्री प्रोफेसर अख्तरूल वासे ने कहा कि उर्दू भाषा मोहब्बत की जुबान (भाषा) है। इसके लिए उन्होंने आलम फतेहपूरी के इस शेर ‘एक तरफ हाथ में शंकर के है गुलजारे नसीम - दूसरे हाथ में चकबस्त के रामायण है‘ से उर्दू जुबान के हिन्दुस्तानी जुबान होने का सबूत पेष किया। 
आलमी उर्दू ट्रस्ट नई दिल्ली के चेयरमैन ए रहमान ने इस एजाजी नशिस्त (सम्मान की बैठक) में ‘नई दुनिया बनेगी तो इससे बिल्कुल मुख्तलिफ होगी - खुदा शीशे का होगा और मख्लूकात पत्थर की‘ शेर पढकर अपने विचार पेष किये। मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के उपाध्यक्ष मोहम्मद अतीक ने सोसायटी के अधीन संचालित नर्सरी से पीएचडी से सम्बन्धित समस्त संस्थानों की जानकारी प्रदान की।  
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुम्बई के बुरहानी काॅलेज के उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं देश के मशहूर शायर डाॅ. कासिम इमाम ने अपने शेर ‘जिन्दगी तू ही कभी मुझको शरीके गम बना - मिलके रोयेंगे तो दिल का बार कम हो जायेगा‘ से उर्दू काव्य गोष्ठी की शुरूआत की। 
उर्दू के युवा शायर प्रवीण गहलोत (अरमान जोधपुरी) ने अपनी नातिया शेर ‘दो बार लबों ने आपसे में लिये बोसे - जब नाम लिया मैने एक बार मोहम्मद का‘ से सबकी दाद (तारीफ) लूटी।  युवा शायर वसीम बैलिम ने चार पैसे कमाने लगा - आईना दूसरों को दिखाने लगा‘ शेर पढकर दौलत आने से घमंडी होने पर कटाक्ष किया। युवा शायर फानी जोधपुरी ने ‘सहन में आया जो पत्थर तो किया सर आगे - घर में आये हुए मेहमान की जिद पूरी की‘ जैसे शेर पढकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। 
उर्दू शिक्षाविद् अकमल नईम ने अपनी गजल के इस शेर से ‘मंजिले तुझको बद्दुआएं देंगी - हौसला राह में न हारा कर‘ निरन्तर प्रयासरत रहने का संदेश दिया। उर्दू शायर ब्रजेश अम्बर ने ‘रात दिन ढूंढते फिर रहे हैं किसे - मैं भी खोया हुआ वो भी खोया हुआ‘ पढकर समाज के एकान्तवास को नकारने का संदेश दिया। उर्दू शायर इश्राकुल इस्लाम माहिर ने समाजसेवी स्वर्गीय फिरोज अहमद काजी को समर्पित करते हुए कहा कि ‘याद जैसी रहगुज़र है तो सही - वो कहीं भी है मगर है तो सही‘। उर्दू शायर रईस अहमद ने भी खूबसूरत कलाम पेश किये। 
उर्दू शायर अफजल जोधपुरी ने भी ‘परबत, नदी, परिन्द, सब लोग कहां खुष हैं - कुछ लोग चाहते हैं कि जंगल हरा न हो‘ सुनाकर पर्यावरण की रक्षा करने की अपील की। उर्दू शायर डाॅ निसार राही ने ‘हर एक लफ्ज में चेहरा कोई नया रखो - बदल चुके हैं सभी इश्तिहार वैसे भी‘ से दुनिया के बदलाव के साथ बदलने का पैग़ाम दिया। उर्दू वरिष्ठ शायर हबीब कैफी ने कहा कि ‘तुझ को पहचान देके दुनिया में - अपनी पहचान खो चुका हू मैं‘ सुनाकर दूसरो के लिए अपने अस्तित्व की कुर्बानी देकर अहसास कराने की तरफ ध्यान दिलाया।  
प्रोफेसर कासिम ने काव्य गोष्ठी के समापन की घोषणा अपने इस शेर से की ‘मौत ने काग़ज़ पर लिखा है कुछ दिन के मेहमान हो तुम - चुपके चुपके पढते रहना, घर वालों से कहना मत‘ 
इससे पूर्व मौलाना आज़ाद बीएड काॅलेज के व्याख्याता मोहम्मद इकबाल चुंदडीगर ने स्वागत भाषण पेश किया। राष्ट्र स्तरीय उर्दू काव्य गोष्ठी में मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डाॅ जमील काजमी, बीएड प्रिंसीपल डाॅ श्वेता अरोड़ा, महिला बीएड प्रिंसीपल डाॅ सपना सिंह राठौड़, मोहम्मद अतीक सिद्दीकी, मोहम्मद अमीन, अजीजुलहसन, डाॅ रेहाना बेगम, बीएड व्याख्याता ममता सिंह, कान्ता मिश्रा, तनवीर अहमद काजी, नासिर खान, मदीना बानो, वाजिद शेख, राजेष कुमार मोहता, अब्दुल तनवीर, तनवीर अहमद काजी, जुगनु खान सहित बरकतुल्लाह खान हाॅस्टल के कई छात्र-छात्राओं ने शिर्कत की।
   डाॅ सय्यद असद अली ने गोष्ठी की रिपोर्ट तैयार की। संचालन इश्राकुल इस्लाम माहिर ने किया। सोसायटी के दीनयात प्रभारी शाहिद हुसैन नदवी ने ‘शुक्राना पेश है हुजूरी में आपके - ऐ काश रोज़ आए ये मौसम बहार के‘ पेष कर धन्यवाद ज्ञापित किया।

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